धरती पर पड़े कुदाल धरा दे सुन्दर हरी फसल.
वृक्षों की काटो डाल वृक्ष दे मिठे मिठे फल .
मानव तू बिछाए शूल-शूल तेरा जीना हुआ विफल .
कल कल करती नदिया देखो बहती जाये रे।
पथिकों की प्यास बुझाये.
जितना भी है पास में उसके सबका सब दे डाला ,
पिया न खुद एक बूँद त्याग का ऐसा नियम निकाला .
मानव तू बिछाए शूल तेरा जीना हुआ विफल .
तू सुधि न धरे , कितनी विपदा सही है माँ ने
क्या क्या कष्ट सहे तू क्यू सुधि न धरे.
न जाने कितने दुःख सह कर माँ ने तुझको पाला ,
बड़ा हुआ जब ताक़त पाकर घर से उसे निकाला .
मानव तू कर मत भूल वक़्त हाथों से जाये फिसल .
मंदिर मस्जिद जाये मंदिर मस्जिद जाये .
राम राम रटता फिरता है राम कहां से पाए .
कोई सतगुरु ढून्ढ ले जो घट में राम दिखाए .
मानव तू सुन ले बात तभी तेरा जीना है सफल .
मानव तू विछाए शूल-शूल तेरा जीना हुआ विफल
वृक्षों की काटो डाल वृक्ष दे मिठे मिठे फल .
मानव तू बिछाए शूल-शूल तेरा जीना हुआ विफल .
कल कल करती नदिया देखो बहती जाये रे।
पथिकों की प्यास बुझाये.
जितना भी है पास में उसके सबका सब दे डाला ,
पिया न खुद एक बूँद त्याग का ऐसा नियम निकाला .
मानव तू बिछाए शूल तेरा जीना हुआ विफल .
तू सुधि न धरे , कितनी विपदा सही है माँ ने
क्या क्या कष्ट सहे तू क्यू सुधि न धरे.
न जाने कितने दुःख सह कर माँ ने तुझको पाला ,
बड़ा हुआ जब ताक़त पाकर घर से उसे निकाला .
मानव तू कर मत भूल वक़्त हाथों से जाये फिसल .
मंदिर मस्जिद जाये मंदिर मस्जिद जाये .
राम राम रटता फिरता है राम कहां से पाए .
कोई सतगुरु ढून्ढ ले जो घट में राम दिखाए .
मानव तू सुन ले बात तभी तेरा जीना है सफल .
मानव तू विछाए शूल-शूल तेरा जीना हुआ विफल