मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

मुझको निर्भय कर देना व्यक्ति जब भी अपनी मृत्य से डरता है तो उसकी यही लालसा होती है की वोह मौत से डर न जाये . इन्ही भावों को व्यक्त्त करती है यह कविता

हे म्रत्यु देव आने से पहले मुझको  निर्भय कर देना . 
संताप मिटा देना मेरा अंतस को निर्मल कर देना. 

कर देना तुम विरक्त मुझको सारी सांसारिक वातों से. 
कर देना मोह भंग मेरा दुनिया के रिश्ते नातों से. 
फिर इस धरती से स्वर्ग लोक तक पथ निष्कंटक कर देना
संताप मिटा देना मेरा अंतस को निर्मल कर देना. 
हे म्रत्यु देव आने से पहले मुझको  निर्भय कर देना . 

मैं पीड़ा से घबराता हूँ कर देना संज्ञा हीन मुझे.
मैं अपनों  मे घिर जाता हूँ लेना अपनों से छीन मुझे.
तन शांत रहे मन  शांत रहे ऐसा प्रबंध कुछ कर देना.
संताप मिटा देना मेरा अंतस को निर्मल कर देना. 
हे म्रत्यु देव आने से पहले मुझको  निर्भय कर देना .






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