माँ मंदिर में देवी माँ की आरती गा रही है कि पूत कपूत सुने बहुतेरे माँ न सुनी कुमाता. उसकी अजन्मी बच्ची गर्भ में ही जिसे इस बात का अहसास हो गया है कि उसकी माँ गर्भपात करबाना चाहती है तो वोह अपनी hi माँ से अपनी जान कि भीख निम्न शब्दों में मांगती है.
माँ बेटी का है इस जग में है बड़ा ही निर्मल नाता.
पूत कपूत सुने बहुतेरे माँ न सुनी कुमाता.
ये बोल आरती के जब मेरे कानो से टकराए थे .
सच कहती हूँ मेरी जननी मेरे मन को अति भाये थे.
पर नहीं जानती थी माँ कि यह आरती भी झूठी है.
या फिर तू ही दुनिया कि सब माताओं में अनूठी है.
जिस घडी चिकित्सक से तुने था गर्भ परिक्षण करबाया था.
है गर्भ में तेरे एक कन्या उसने तुझको अबगत करबाया था.
मैं नहीं जानती थी कि तू भी मेरे दुश्मन बन जायेगी.
परिवार जनों के भय से माँ तू गर्भपात करबायेगी.
जीने दे मुझको भी कुछ दिन तू इतनी क्रूर न बन माता.
पूत कपूत सुने बहुतेरे माँ न सुनी कुमाता.
अब ही तो तेरे गर्भ में मैंने कोमल पाँव पसारे हैं.
अब ही तो मेरी काया में ईश्वर ने प्राण संचारे है.
है अन्धकारमय गर्भ तेरा इसमें मेरा दम घुटता है.
बाहर आने कि आशा में मेरा एक एक पल कटता है.
क्या कफ़न मेरा मैया तेरी आँचल बन जायेगी
क्या गर्भ स्थली तेरी माँ म्र्त्युस्थल बन जायेगी.
इतना सुन्दर संसार है यह इसमें आकर मै भी कुछ दिन
जी लेती तो तेरा क्या जाता.
पूत कपूत सुने बहुतेरे माँ न सुनी कुमाता.
फिर कौन कहेगा माँ के चरणों में ही स्वर्ग है मिल जाता है.
जीवन कि कड़ी धुप में माँ कि ममता ही छाया है माता.
कर जोड़ के मै करती विनती हे माँ तू न बन कुमाता.
पूत कपूत सुने बहुतेरे माँ न सुनी कुमाता.
हिंदी गीत.
jmjk
जवाब देंहटाएंi am very happy with your thought
Rakesh Jammu
its realy best star aggainst poluted socity
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