शुक्रवार, 24 मई 2013

इतने बड़े कवियों के बीच में लिखना कोई आसन काम है क्या मगर फिर भी हिम्मत जुटा कर जो लिख पाया हूँ वोह आपके सामने हाज़िर है।

मैंने बेटे से कहा, जल पे लिखो कवित्त।
बेटा बोला आपका ठीक नहीं है चित्त।

बेटा OBO ने की है ऐसी मांग ।
बेटा बोला आपने फिर खा ली  है भांग।

जो है दाना बे पागल क्यूँ दिख सकते है ।
तुम ही बताओ जल पर कैसे लिख सकते है ।

कागज़ और श्यामपट पर लोग लिखा करते है।
दीवारों पर नारे लोग लिखा करते है।

पर्ची पर लिख कर हम नक़ल किया करतें है।
और दूसरें बच्चों की मदद किया करते है।

पर पानी पर कैसे लिखे तुम्ही बतलाओ .।
बीबी बोली पहले तुम पानी भर लाओ ।

एक बूँद भी जल की घर में नहीं मिलेगी .
देर हुई तो टंकी सूखी हुई  मिलेगी।

फिर तुम मुझ पर ही गुस्साओगे ।
नहीं नहाने का पानी जब तुम पाओगे ।

पानी नहीं तो खाना भी न बन पायेगा ।
कविता का सब भूत हवा बन उड़ जायेगा।

कैसे खैनी बनेगी जब सूख जायेगा चुन।
रहिमन पानी रखिये बिन पानी सब सून।

बिटिया बोली गर्मी में सूख गए सब नल।
आँखों में पानी बिना सूख गया काजल ।

एच टू ओ के मिलन से फ़ौरन  जल बन जाये।
आँखों में दोनों नहीं तो अश्रु कहाँ से आये ।

मैंने सोंचा OBO पर फिर दिख जाऊंगा ।
कोई सरल विषय देंगे तो लिख पाउँगा ।

अभी तो जाकर घर का पानी भर लाना है।
बीबी से अच्छे कमेंट्स मुझको पाना है।



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