शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

.आँसू


आँसू

तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू मैं बन जाऊ .
तेरे दामन को भिगो दूं उसी में ज़ज़्ब हो जाऊ.

जन्म लूँ आँख में तेरी बहू मैं गाल पे तेरे.
तेरे होठो को छू लूँ मैं होंठ छूते ही मर जाऊ
तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू मैं बन जाऊ . 

कभी मोती सा चमकूँ मै कभी पलकों  में खो जाऊ . 
सदा गम में ही नहीं खुशियों में भी ऑंखें भिगो जाऊ .
तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू मैं बन जाऊ . 


अगर मैं आँख में निकलू नज़ारे धुँधले हो जाए .
मुझे ही देख पाओ तुम तुम्हें मैं ही नज़र आऊ.
तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू मैं बन जाऊ .

कभी ऐसा भी हो निकलू तो पलकें बंद तुम कर लो.
अंधेरा हो घना और मैं सुख की नींद सो जाऊ .
तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू मैं बन जाऊ .

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!
    जग से जुदा है यह दुर्लभ चाह!

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  2. आप को रचना पसंद आई इसके लिए आभारी हूँ । कृपया उत्साह वर्धन करती रहें धन्यबाद ।

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