मित्रों यह कविता मैंने ओपन बुक्स ओंन लाइन.कॉम पर चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता में लिखी थी जो अब अपने ब्लॉग के पाठकों के साथ संझां कर रहा हूँ.
हुयी सब आशाएं जब क्षीण
कर दिया यौवन ने प्रस्थान.
तुम्हारे चुम्बन ने प्रियतम
दिए है फूंक ह्र्दय में प्राण.
किया है जीवन का संचार .
किया है पूर्णतया उपचार .
मनोबल का करके उत्थान
तुम्हारे चुम्बन ने प्रियतम
दिए है फूंक ह्र्दय में प्राण.
लगा जब होने शिथिल शरीर
हुयी जब काया भी बे जान
तुम्हारे चुम्बन ने प्रियतम
दिए है फूंक ह्र्दय में प्राण.
हमारे ज़र्ज़र हुये शरीर
मगर न रहे कभी गंभीर
हमारे दिल थे सदा जवान
तुम्हारे चुम्बन ने प्रियतम
दिए है फूंक ह्र्दय में प्राण.
दिया हाथो में मेरे हाथ
उम्र के हर पड़ाव पर साथ
सजा कर होंठों पर मुस्कान.
तुम्हारे चुम्बन ने प्रियतम
दिए है फूंक ह्र्दय में प्राण.
Bahut hi bhavpoorn rachna ..
जवाब देंहटाएंतुम्हारे चुम्बन ने प्रियतम
दिए है फूंक ह्र्दय में प्राण.
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meri rachana parne aur remarks ke liye dhanyabad . Pl join my blog
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